
निश्चित रूप से शीर्षक पढ़ते ही आपके मन में जवाब आया होगा “हाँ”
हम एक ऐसी पीढ़ी हैं जिन्हें स्कूल की कंप्यूटर लैब में प्रवेश करने के दौरान अपने जूते निकालने पड़ते थे और खुद ही कंप्यूटर को शुरू करके चुपके से गेम खेलना पड़ता था ताकि टीचर हमे देख न ले…
हमने WWF के ट्रम्प कार्ड खेले और अपने फैंटम सिगरेट को कभी किसी को नहीं दिया। हमने अपने सहपाठियों को जन्मदिन पर मैंगो बाइट वितरित किया और अंकल चिप्स और रसना हमेशा हमारे जन्मदिन की पार्टी के भोजन का हिस्सा थे।
हमने होम अलोन, जुर्रासिक पार्क, जुमान्जी जैसी कई फिल्मे बचपन में देखि है. जिसमें टाइटैनिक एक ऐसी रोमेंटिक फिल्म थी जिसे हम कभी नई भुला सकते.
कार्टून शोज हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गए थे जिसमें कई अनगिनत नाम है जिसमें से ज्यादातर कार्टून्स हमने देखे हुए है. डेक्सटर लेबोरेटरी जिसमें “दीदी” “डेक्स्टर” को उसकी ख़ुफ़िया लेब में जाके परेशान करती है. वही “जॉनी ब्रावो” लड़कियों को पटाने के चक्कर में लड़कियों के हाथो से मार खाता था

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